सन् १९६२ में स्थापित अवन्तिका कलकत्ता महानगर मे बसे कतिपय बुद्धिजीवि मित्रों का एक छोटा सा परिवार है जिसके सदस्यो का मुख्य प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष कर, कम्पनी लॉ और लेखांकन की पेचीदा गुत्थियों को सुलझाना है। अपने दैनिक जीवन में तथाकथित शुष्क विषयों से संलग्न माने जाने वाले इस शिक्षित वर्ग का साहित्य एवं कला से भी कितना लगाव है- अवन्तिका इसका प्रतीक है। अपने विगत कार्यालय में देश के मनीषी साहित्यकारों, भाषाविदों, कवियों तथा कलाकारों को समय-समय पर आमंत्रित कर अवन्तिका ने सदस्यो की साहित्यिक रुचि का परिचय दिया है। प्रथम वार्षिकोत्सव के अवसर पर अवन्तिका ने एक साहित्य गोष्ठी का आयोजन कलकत्ता विश्वविधालय के हिन्दी विभागाध्यक्ष प्रोफेसर कल्याण मल लोढ़ा की अध्यक्षता में किया। अवन्तिका ने द्वितीय वार्षिकोत्सव पर कवि सम्मेलन का आयोजन किया, जिसके अध्यक्ष राष्ट्रकवि दिनकरजी थे। सन् १९६६ में श्री शिक्षायतन सभागार में “आज का हिन्दी साहित्य समारोह” का आयोजन किया गया। साहित्य जगत के शीर्ष चिन्तकों तथा आलोचकों के विचार एवं आलोचनात्मक विश्लेशण स्वनामधन्य श्री अज्ञेयजी की अध्यक्षता में आयोजित करने का श्रेय प्राप्तकर संस्था गौरावान्वित है। साहित्य समारोह का आयोजन दो गोष्टियो में विभाजित किया गया। आयोजन के अध्यक्ष थे भूतपूर्व मुख्यमंत्री पश्चिम बंगाल, श्री बिजय सिंह नाहर तथा प्रमुख अतिथि थे बंगला साहित्य के ख्यातिप्राप्त साहित्यकार एवं भारतीय ज्ञानपीथ साहित्य पुरस्कार द्वारा पुरस्कृत स्व. श्री ताराशंकर बन्दोपाध्याय।
अवन्तिका के उस वर्ष के सभापति श्री ठाकुरदासजी सुग्ला कालांतर मे आयकर अपीलीय ट्रिव्यूनल के वर्षो तक प्रोसिडेन्ट रहे व तत्पश्चात बम्बई हाईकोर्ट में माननीय न्यायाधीश थे। अखिल भारतीय भाषाओं के स्वातंत्र्योत्तर विकास पर विभिन्न भाषाओं के विद्वानों का एक सम्मेलन बंगला साहित्य के प्रमुख विद्वान श्री अन्नदा शंकर रायकी अध्यक्षता में सम्पन्न हुआ। भाषा सम्मेलन में भाग लेने वाले विद्वानो में प्रमुख थे -श्री विष्णुकान्त शास्त्री (हिन्दी), श्री अजित घोष (बंगला), श्री पी.एन. थ्यागराजन (तमिल), प्राध्यापक पी. लाल (अंग्रेजी) तथा श्री शिवकुमार जोशी (गुजराती)।
सन् १९६७ में हिन्दी हाई स्कूल सभागार में लोक गीतो एवं उल्लासमय नृत्यो का मनोहारी प्रदर्शन का आयोजन किया जिसकी परिचालन सुप्रसिध्द श्रीमति गुहाठाकुरता ने की। इसी वर्ष एक काव्य संध्या स्थानीय हिंदुस्तान क्लब में आयोजित की गई जिसमे श्री कैफी आजमी, मेघराज मुकुल, श्री निर्भय हाथरसी, श्री रामरिख मनहर, श्री कमलेस्वर तथा अन्य साहित्यकारों ने भाग लिया। सन् १९६८ मे अवन्तिका ने स्थानीय नाट्य संस्था अदाकार द्वारा अभिनीत जनप्रिय नाटक फंदा के प्रदर्शन का आयोजन किया। इस आयोजन की अध्यक्षता की रवीन्द्र भारती विश्वविधालय की उप कुलपति श्रीमती रमा रायचौधरी ने एवं प्रमुख अतिथि थी बंगला उपन्यासकार श्रीमती अनुसुया देवी।
अवन्तिका के दशवें वार्षिकोत्सव पर एक विराट कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसमें ख्यातिप्राप्त कविवर श्री बलकवि वैरागी, श्री निर्मल हाथरसी, श्री माणिक वर्मा, श्री ओमप्रकाश आदित्य ने भाग लिया। इस आयोजन के अध्यक्ष थे कमर्ठ समाजसेवी पध्मश्री स्व. श्री सीतारामजी सेकसरिया। कवि सम्मेलन की परिचालना स्थानीय कवि श्री शंभु प्रसादजी श्रीवास्तव ने की। अवन्तिका के अध्यक्ष श्री इन्द्रचंद संचेती एवं रजत जयंती उत्सव समिति के सभापति श्री मदन लाल जी सराफ व सचिव जुगराज भादानी ने वर्ष १९८७ में रजत जयंती उत्सव का उद्घाटन कलकत्ता उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश श्री चित्तातोस मुखर्जी तथा बम्बई उच्च न्यायालय के न्यायाधीश ठाकुर दास जी सुग्ला के कर कमलों द्वारा किया गया एवं इस उपलक्ष में कवि सम्मेलन का आयोजन कविवर श्री सोम ठाकुर, श्री भारत भुषण, श्री हरिओम पंवार एवं प्रख्यात कवियित्रि श्रीमती माया गोविन्द द्वारा बहुत ही शानदार तरीके से हुआ। अवन्तिका ने रजत जयंती से सदस्यो की अधिकतम संख्या ५० से बढ़ाकर १०० कर दी एवं काफी मात्रा में युवा सदस्य जोड़े गये।
धीरे-धीरे अवन्तिका की अध्यक्षता युवा सदस्यो ने संभाली। अवन्तिका एक गतिशील संस्था है। प्रत्येक वर्ष वार्षिक साधारण सभा जून में सम्पन्न हो जाती है एवं अध्यक्ष का चयन हमेशा सर्वसम्मति से होता है। अवन्तिका के सदस्य भाईचारे में ज्यादा विश्वास रखते है।प्रत्येक गोष्ठी में महिलाएँ भी आने को उत्सुक रहती है और उनका भी एक संगठन बन गाया है। साल में एक बार पिकनिक होती है उसमें सभी सदस्य अपने परिवार के साथ आते है। और दिन भर तरह-तरह खेल व आपसी मेलजोल का आनन्द उठाते है। होली के उपलक्ष में कवि सम्मेलन, राजस्थानी ढप व गीत, गजल, कव्वाली का आयोजन किया जाता है। गोष्ठीयों मे भजन, कभी स्वार्थ सम्बन्धि विषयों पर डॉक्टर द्वारा व्याख्यान आदि का आयोजन किया जाता है।
वर्ष २०११-१२ में अवन्तिका ने ५० वर्ष पूरे होने के अवसर पर स्वर्ण जयंती के रूप मे मनाया । इस उपलक्ष में अध्यक्ष श्री पारस कोचर एवं स्वर्ण जयंती उत्सव समिति के सभापति श्री एम. एल सतनालीवाल व सचीव श्री सुभाष अग्रवाल के अगुवाई मे विभिन्न कार्य कर्म का आयोजन किया गया। इसका उदघाटन ३१-०७-२०११ को हल्दीराम बैंक्वेट मे संगीत संध्या के साथ किया गया। स्वर्ण जयंती समारोह का विशेष आयोजन कलामंदिर के समागर मे २२-०४-२०१२ को किया गया एवं जिसका उद्घाटन कलकत्ता उच्च न्यायालय के निवर्तमान न्यायाधीश माननीय श्यामल कुमार सेन के कर-कमलो द्वारा किया गया एवं जिसके मुख्य अतिथि श्री देवाशिष दासगुप्ता, सी आई ती-१ कोलकत्ता थे।
अवन्तिका के कर्मठ सदस्यो द्वारा आज तक परिवारिक मिलन गोष्ठीयो एवं भिन्न कार्यकर्मों का आयोजन सुचारक रूप से किया।अवन्तिका के सदस्यो ने आयकर, जी एस टी., कम्पनी लॅा जैसे विषयों पर भी समालोचना एवं व्यक्तिगत विचारो का आदान प्रदान हेतु जलपान एवं अल्पाहार पर गोष्ठीयो का आयोजन किया। सन् २०१८-१९ में तत्कालीन कार्य समिति ने वारिस्ठतम सदस्यों का सम्मान किया गया जिससे युवा सदस्यों ने अत्यन्त प्रेरनादायक महसूस किया। सन् २०२० मे भारत एक बेश्विक महामारी (कोरोना वायरस) के प्रकोप से गुजर रहा है। इस समय अति पिछड़ा वर्ग जो सुदुर गाँव मे रहतें है अपनी जरुरतों को पूरा करने मे असक्षम है। अवन्तिका के तत्कालीन कार्य समिति ने इस विपदा के घड़ी मे बंगाल के सिउड़ी एवं विरभूम जिला के सुदुर गाँवो मे ५००० पैकेट राशन का वितरण किया। अवन्तिका के सदस्यों ने खुले मन से आर्थिक सहयोग दिया फलस्वरूप ये जरुरतमंदों के कल्याण का कार्य पुरा हो पाया।
अवन्तिका में शहर के प्रायः सभी लोकप्रिय बुद्धिजीवी इसके सदस्य है। इसमें जिन सदस्यों ने २५ वर्ष की सदस्यता पुरी कर ली है एवं ७५ वर्ष की आयु पुरी कर ली है उन्हें वरिष्ठतम सदस्यों की श्रेणी में स्थानांन्तरण कर दिया जाता है एवं उसकी जगह नये सदस्य का प्रवेश किया जाता है। अवन्तिका में सदस्य बने हेतु बुद्धिजीवी मित्र काफी उत्सुक रहते हैं।
AVANTIKA ORIGINAL HINDI MEMORANDUM
AVANTIKA MEMORANDUM AND REGULATIONS
Executive Committee & Office Bearersfor the Year: 2021-22
Sri Anup Kumar Sanghai
President
Sri S K Sultania
Vice President
Sri Ram Ratan Modi
Secretary
Sri Vishnu Kr Tulsian
Joint Secretary
Sri Rajesh Kumar Choudhary
Treasurer